Wednesday, 19 December 2012

 
 
 
* . 2 )
 
ख्वाब हो ..खयाल हो ...
या हो कोई आंधी ...
धूप हो छाव हो ...
या हो कोई पहेली .........
जब भी आता  हैं खयाल
हम थमसे जाते हैं ..
राह में चलते चलते
युंही रुक से जाते हैं ..
ना देखा हैं रंग ..
ना रूप हैं देखा ...
देखा हैं खयालोमे
उभरता एक चेहरा अन्जानासा ...
एक बार मिलो हमसे
कुछ सवाल हैं अनकहेसे ..
जवाब मिले न मिले ..
हम सांस तो लेंगे सुकुनसे .....
ख्वाब हो ..खयाल हो ...
या हो कोई आंधी ...
धूप हो छाव हो ...
या हो कोई पहेली .........
अस्मी
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